KNEWS DESK- संभल में 46 साल पहले हुए दंगों के मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विधानसभा में दंगे पर दिए गए वक्तव्य के बाद, प्रशासन ने इस संवेदनशील मामले की फिर से समीक्षा करने का निर्णय लिया है। संभल जिले के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने अधिकारियों से दंगे से जुड़ी सभी फाइलें मांगी हैं और मामले की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है।
मुख्यमंत्री का बयान और दंगों का इतिहास
29 मार्च 1978 को संभल में हुए दंगे ने न सिर्फ शहर को बल्कि पूरे जिले को दहला दिया था। इस दंगे में कई हिंदू मारे गए थे और दंगे के बाद भय के कारण 40 रस्तोगी परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। इन दंगों में कई मंदिरों को भी नुकसान पहुंचा था और किसी भी मंदिर में पूजा करने के लिए कोई नहीं बचा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में इस दुखद घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि 1947 से लेकर अब तक संभल में कुल 209 हिंदू दंगों की शिकार हुए हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह घटना इतने सालों बाद भी बिना किसी सजा के बाकी रही है, जो कि बेहद चिंताजनक है।
प्रशासनिक सक्रियता और फाइलों की समीक्षा
मुख्यमंत्री के बयान के बाद, संभल के प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने दंगे से जुड़ी फाइलों की समीक्षा करने के लिए उन्हें मांगा है। उनके मुताबिक, यह जांच की जाएगी कि किस स्तर पर प्रशासनिक चूक हुई, कितनी बार गवाहों को अदालत में पेश किया गया, और साक्ष्यों की इकट्ठा करने में कोई लापरवाही तो नहीं बरती गई। यह फाइलों की समीक्षा के बाद, प्रशासन द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी।
संभल में दो महीने तक कर्फ्यू
संभल में 1978 के दंगे के बाद स्थिति इतनी विकट हो गई थी कि प्रशासन ने दो महीने तक कर्फ्यू लगा दिया था। कर्फ्यू के दौरान भी शहर में दोनों समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बनी रही थी, और कर्फ्यू का समय बढ़ता गया। प्रशासन और स्थानीय लोगों की सक्रियता के बाद अब तक कई पहलुओं पर पुनः विचार किया जा रहा है, ताकि इस मामले में न्याय मिल सके।
संभल में पुनः खुले मंदिरों के पट
संभल के दंगों के बाद मंदिरों में पूजा की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद हो गई थी। प्रशासनिक और स्थानीय लोगों की सक्रियता से 46 साल बाद अब इन मंदिरों के पट फिर से खुले हैं। यह कदम इस ओर इशारा करता है कि प्रशासन अब मामले में गंभीरता से कदम उठा रहा है और समाज में शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि दंगों और उनके प्रभाव के बारे में लोगों की यादें आज भी ताजी हैं, और समय के साथ न्याय दिलाने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या लंबे समय से लंबित न्याय की प्रक्रिया अब पूरी होगी।
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