संभल में प्राचीन शिव मंदिर के पास कुएं की खुदाई के दौरान मिली खंडित मूर्तियां, कार्बन डेटिंग के लिए भेजा जाएगा लैब

KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर के पास के कुएं की खुदाई के दौरान तीन खंडित मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। यह मंदिर पिछले 48 सालों से बंद पड़ा था, जिसे हाल ही में प्रशासन ने फिर से खोला। शनिवार को जब मंदिर के पास स्थित कुएं की खुदाई शुरू की गई, तो 15 से 20 फीट तक खुदाई के बाद देवी-देवताओं की तीन मूर्तियां निकल कर सामने आईं। इन मूर्तियों की लंबाई लगभग 7 से 8 इंच है, और देखने से ये मूर्तियां माता पार्वती, गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतीत हो रही हैं।

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मूर्ति मिलने से श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल

बता दें कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित एक 400 साल पुराने प्राचीन शिव मंदिर के पास कुएं की खुदाई में तीन महत्वपूर्ण मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। ये मूर्तियां मां पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की हैं। मंदिर बीते 46 सालों से बंद पड़ा था, जिसे हाल ही में प्रशासन ने फिर से खोल दिया। मंदिर के साथ-साथ वहां स्थित कुएं की खुदाई के दौरान यह महत्वपूर्ण मूर्तियां मिलीं, जिन्हें अब कार्बन डेटिंग के लिए भेजा जाएगा।

मूर्तियां निकलने के बाद, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग गया और भक्तों ने ढोलक की थाप पर भजन-कीर्तन शुरू कर दिया। महिलाएं भगवान शिव के भजनों में मग्न हो गईं। इन प्राचीन मूर्तियों के मिलने से क्षेत्र में एक धार्मिक और ऐतिहासिक उत्साह का माहौल बन गया है। इस बीच, प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया है और घटनास्थल पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।

Sambhal Mandir News: मंदिर के पास कुएं की खुदाई के दौरान निकली मूर्तियां,  लोगों ने शुरु किया पूजा-पाठ - up sambhal news broken idol found during  digging well -

मूर्ति और मंदिर की जांच के लिए भेजी गईं

संभल जिले के प्रशासन ने इन मूर्तियों की जांच के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है, ताकि इन मूर्तियों की पुरातात्त्विक महत्ता का मूल्यांकन किया जा सके। इसके साथ ही, मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग भी कराने की योजना है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये अवशेष कितने पुराने हैं।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

यह मंदिर, जिसे कार्तिक शंकर मंदिर के नाम से जाना जाता है, लगभग 400 साल पुराना है। मंदिर और उसके आसपास की भूमि का ऐतिहासिक महत्व स्थानीय लोगों के लिए बहुत गहरा है। विष्णु शरण रस्तोगी, जिनकी फैमिली यहां पहले रहती थी, बताते हैं कि उनके परिवार के लोग सालों तक इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे और मंदिर के कुएं से जल लाकर विधिपूर्वक धार्मिक कार्य करते थे।

1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद यह मंदिर बंद हो गया और मंदिर परिसर में रहने वाले हिंदू परिवारों ने अपने घर छोड़ दिए। इसके बाद मंदिर और आसपास की भूमि पर मुस्लिम समुदाय ने कब्जा कर लिया। अब 46 साल बाद प्रशासन ने मंदिर का उद्घाटन किया और उसे साफ-सुथरा कर पूजा-अर्चना शुरू करवाई। 15 दिसंबर को विधि-विधान से पूजा-आरती की गई, और श्रद्धालुओं ने मंदिर में आकर आस्था जताई। वहीं अब मंदिर के पुनर्निर्माण से जुड़ी प्रक्रिया भी चल रही है, और प्रशासन इसे फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोलने की तैयारी में है।

कुएं की खुदाई और अवशेष

मंदिर के पास स्थित कुएं की खुदाई के दौरान और मूर्तियां मिल सकती हैं, इस संभावना को देखते हुए खुदाई जारी रखी जाएगी। इन मूर्तियों के मिलने से इलाके में ऐतिहासिक महत्व को लेकर और अधिक प्रश्न उठने लगे हैं। कुछ लोग यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि ये मूर्तियां पुराने दंगों और धार्मिक संघर्षों से जुड़ी हो सकती हैं।

सम्भल में धार्मिक उत्साह और प्रशासन की सक्रियता

संभल के इस मुस्लिम बहुल इलाके में मंदिर का खुलना और उसके पास प्राचीन मूर्तियां मिलना एक बड़ा ऐतिहासिक और धार्मिक घटनाक्रम है। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी है और आगे की जांच के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

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