KNEWS DESK- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद से देशभर में इस पर व्यापक बहस छिड़ गई है। इस विधेयक के लागू होने से देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव है, जिसके पक्ष और विपक्ष में तमाम प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इसी बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे एक मनमाना कदम करार दिया है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से पहले ‘एक शिक्षा और एक हेल्थकेयर’ पर ध्यान दें
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दिल्ली स्थित संसद भवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर काम करने से पहले ‘एक राष्ट्र, एक शिक्षा’ और ‘एक हेल्थकेयर’ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उनका कहना था कि जब तक देश में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं समान नहीं होंगी, तब तक एक चुनाव के फायदे समझ में नहीं आएंगे।
उन्होंने यह भी कहा, “यह एक अजीब स्थिति है कि मोदी सरकार एक राष्ट्र, एक चुनाव पर जोर दे रही है, जबकि हमें पहले राष्ट्रव्यापी शिक्षा और स्वास्थ्य के समान मानक सुनिश्चित करने चाहिए। यह कदम देश के नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि केवल राजनीतिक फायदे के लिए उठाया जा रहा है।”
राजनीतिक लाभ की चिंता
भगवंत मान ने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का यह कदम राजनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए है। उन्होंने कहा कि इस कदम से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को फायदा होगा, लेकिन इससे देश के आम लोगों को कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा। उनका कहना था, “यह एक मनमाना कदम है, जो पूरी तरह से केंद्रीय सत्ता के राजनीतिक लाभ को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।”
तानाशाही रवैया और क्षेत्रीय दलों के हित
सीएम मान ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर केंद्र सरकार के रवैये को तानाशाही बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रस्ताव से क्षेत्रीय पार्टियों और राज्यों के हितों को नुकसान होगा, क्योंकि यह कदम केंद्र सरकार की ताकत को और बढ़ाएगा, जबकि राज्यों और उनके अधिकारों में कमी आएगी। उनके अनुसार, यह कदम केंद्रीय सरकार की ओर से राज्यों की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।
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