KNEWS DESK, उत्तराखंड के नगर निकायों में प्रशासकों की तैनाती को आज एक साल पूरा हो गया है। निकाय चुनावों का इंतजार करते हुए एक साल भी बीत चुका है, लेकिन अब तक निकाय चुनाव को लेकर शासन स्तर पर कोई खास हलचल देखने को नहीं मिल रही है। हालांकि, राजनीतिक दलों की तैयारी तेज हो गई है। इसके तहत भाजपा नगर निगम और नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के चयन के लिए जल्द पर्यवेक्षकों की तैनाती करने जा रही है। इसके साथ ही सभी निकायों में सर्वे और रायशुमारी भी कराई जाएगी।
भाजपा का तर्क है कि आरक्षण पर स्थिति साफ होते ही निकायों में पर्यवेक्षक और चुनाव प्रभारी तैनात कर दिए जाएंगे। उसके बाद रायशुमारी और सर्वे के आधार पर मजबूत प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा। वहीं, केदारनाथ उपचुनाव में हार का सामना कर चुकी कांग्रेस निकाय चुनाव में हार का बदला लेना चाहती है। इसके तहत कांग्रेस ने 13 जिलों में प्रभारियों की नियुक्ति की है और उन्हें जिलों के भ्रमण के निर्देश दिए गए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी जल्द अपना रात्रि प्रवास का कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं। इसके तहत मुख्यमंत्री धामी प्रदेश के सभी जनपदों में रात्रि प्रवास कर विकास कार्यों का अवलोकन करने के साथ ही जनता से सीधा संवाद करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं से चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री ने अपने सहयोगी कैबिनेट मंत्रियों को भी रात्रि प्रवास के निर्देश दिए हैं। सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंत्री भी रात्रि प्रवास करेंगे? आखिर क्यों एक साल बाद भी नगर निकायों में प्रशासकों की तैनाती है?
उत्तराखंड में नगर निकाय के चुनाव कब होंगे, इस पर सस्पेंस बरकरार है। पिछले वर्ष 2 दिसंबर 2023 को प्रदेश की 102 नगर निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद कई बार सरकार ने प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया, लेकिन निकाय चुनाव नहीं कराए गए। हालांकि भाजपा, कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। भाजपा का तर्क है कि आरक्षण पर स्थिति साफ होते ही निकायों में पर्यवेक्षक और चुनाव प्रभारी तैनात कर दिए जाएंगे। उसके बाद रायशुमारी और सर्वे के आधार पर मजबूत प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा। वहीं, कांग्रेस ने 13 जिलों में प्रभारियों की नियुक्ति की है और उन्हें जिलों के भ्रमण के निर्देश दिए हैं।
आपको बता दें कि धामी सरकार एक के बाद एक चार चुनावों को टाल चुकी है। निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव, छात्र संघ चुनाव और सहकारिता चुनाव को सरकार टाल चुकी है। इस बीच, धामी सरकार ने जिला पंचायतों में अध्यक्षों को प्रशासक बना दिया है, जिसका जमकर विरोध हो रहा है। कांग्रेस सहित तमाम दलों के नेताओं ने कहा कि सरकार ने निचली ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों को छलने का काम किया है। बता दें कि हरिद्वार को छोड़कर राज्य के शेष 12 जिलों में जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भाजपा ने इस निर्णय को पंचायती राज एक्ट में निहित प्रविधान और जनप्रतिनिधियों की भावनाओं के अनुरूप बताया है।
कुल मिलाकर धामी सरकार के कार्यकाल में एक के बाद एक चार चुनाव टलने का रिकॉर्ड बन गया है। प्रदेश में निकाय चुनाव से इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन एक साल बाद भी निकायों में प्रशासकों की तैनाती दर्शाता है कि सरकार चुनाव को लेकर कितनी गंभीर है। इस बीच, जिला पंचायतों में अध्यक्षों को प्रशासक बनाकर सरकार ने एक और विवाद को जन्म दे दिया है। सवाल यह है कि आखिर क्यों सरकार चुनाव नहीं करा रही? आखिर प्रदेश में कब तक प्रशासकों का दौर चलेगा|
उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट