सदस्यता जारी, हरदा के बोल भारी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का बड़ा बयान सामने आया है। उनका कहना है कि केदारनाथ में मिली हार के बाद हम सभी को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है। कहां कमियां रह गई इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होने खुद की पार्टी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आखिर क्यों हम लोग नई लीडरशीप नहीं बना पाए हैं। हरीश रावत के इस बयान के बाद पार्टी का कहना है कि वह चिंतन मंथन कर रही है। हार की समीक्षा की जा रही है। वहीं भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के नेता जनता का विश्वास खो चुके हैं। जबकि भाजपा में जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ ही सीएम धामी पर जनता का भरोसा बढ़ा है। जिसका लाभ भाजपा को चुनाव में भी मिल रहा है। इस बीच कांग्रेस ने आगामी चुनाव को देखते हुए डिजिटल सदस्यता अभियान की शुरूआत की है। डिजिटल सदस्यता अभियान के पहले चरण में एक लाख नए सदस्य जोड़ने का लक्ष्य रखा है। वहीं भाजपा का कहना है कि कांग्रेस अपने लक्ष्य को हांसिल नहीं कर पाएगी क्योंकि कांग्रेस में नेताओं की भरमार कार्यकर्ताओँ से अधिक है। भाजपा का दावा है कि उत्तराखंड भाजपा ने अबतक 22 लाख सदस्य बना लिये हैं। इसके बाद भी सक्रिय सदस्यता का अभियान भी चलाया जा रहा है। जिससे पार्टी से जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या और अधिक बढ़ेगी. सवाल ये है कि आखिर केदारनाथ की हार से कांग्रेस क्या सबक लेती है, क्या कांग्रेस की लीडरशीप कमजोर हो गई है।

केदारनाथ उपचुनाव हार के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में आत्ममंथन और आत्मविश्लेषण की मांग तेज हो गई है। पार्टी के खुद सबसे वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने केदारनाथ उपचुनाव हार के बाद यह बयान दिया है। उनका कहना है कि हमारे पास लीडरशीप की कमी है। उन्होने पार्टी से इस विषय पर आत्मविश्लेषण करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि केदारनाथ में कांग्रेस पार्टी के पक्ष में स्थिति थी लेकिन कांग्रेस नेता जनता को समझाने में नाकाम साबित हुए हैं। वहीं हरीश रावत के इस बयान पर भाजपा ने कटाक्ष किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस में नेताओं की संख्या ज्यादा है जबकि कार्यकर्ताओं का टोटा है। भाजपा का दावा है कि कांग्रेस नेता जनता का विश्वास खो चुके हैं

आपको बता दें कि मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि केदारनाथ का उपचुनाव भी कांग्रेस जीत दर्ज कर लेगी. हांलाकि नतीजे सामने आने के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। हांलाकि कांग्रेस का तर्क है कि केदारनाथ की जनता ने भाजपा को मात्र 23814 वोट दिये हैं जबकि 30 हज़ार से अधिक वोट भाजपा के खिलाफ केदारनाथ की जनता ने दिये हैं। इस बीच कांग्रेस ने आगामी चुनाव को देखते हुए डिजिटल सदस्यता अभियान की शुरूआत की है। डिजिटल सदस्यता अभियान के पहले चरण में एक लाख नए सदस्य जोड़ने का लक्ष्य रखा है। वहीं भाजपा का कहना है कि कांग्रेस अपने लक्ष्य को हांसिल नहीं कर पाएगी क्योंकि कांग्रेस में नेताओं की भरमार कार्यकर्ताओँ से अधिक है। भाजपा का दावा है कि उत्तराखंड भाजपा ने अबतक 22 लाख सदस्य बना लिये हैं। जबकि कांग्रेस अभी शुरूआत कर रही है।

कुल मिलाकर केदारनाथ उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में आत्मविश्लेषण और आत्ममंथन की मांग उठने लगी है। इसके साथ ही हरीश रावत ने पार्टी की लीडरशीप को लेकर भी सवाल उठाए हैं. ऐसे में देखना होगा कि केदारनाथ की हार से पार्टी क्या सबक लेती है।

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