KNEWS DESK- अजमेर दरगाह को लेकर उठे विवाद पर एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लमीन) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि इस विवाद का उद्देश्य देश को अस्थिर करना और धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ना है। उन्होंने कहा कि यह पूरा सिलसिला देशहित में नहीं है और भाजपा व संघ के लोग इस विवाद से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।
दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका पर उठे विवाद
हाल ही में अजमेर दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका अजमेर की स्थानीय अदालत में दायर की गई थी। इस याचिका पर अब अदालत ने दरगाह समिति, सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। इस मामले को लेकर ओवैसी ने सख्त प्रतिक्रिया दी है और इस मुद्दे को धार्मिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है।
ओवैसी ने उठाए गंभीर सवाल
ओवैसी ने कहा, “अजमेर दरगाह पिछले 800 सालों से वहां मौजूद है। इतिहास गवाह है कि अमीर खुसरो की किताब में इसे दर्शाया गया है और बादशाह अकबर ने वहां कई चीजें बनवाई थीं। मुगलों के बाद मराठों और फिर अंग्रेजों के दौर में भी कई राजघरानों ने इस दरगाह की सेवा की। आज भी प्रधानमंत्री हर साल उर्स के मौके पर चादर भेजते हैं और हमारे पड़ोसी देशों से आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल यहां आते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अब अचानक से यह विवाद खड़ा किया जा रहा है, यह सब कहां जाकर रुकेगा?” ओवैसी ने सवाल उठाया कि क्या पूजास्थल अधिनियम (Place of Worship Act, 1991) का पालन किया जाएगा, जो धार्मिक स्थलों की स्थिति में बदलाव को रोकता है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर संभल में हुए हालिया घटनाक्रम को भी उठाया, जहां धार्मिक विवाद के कारण पांच लोगों की मौत हो गई थी।
ओवैसी का आरोप: भाजपा और संघ का सीधा हाथ
ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि इस विवाद में भाजपा और संघ का हाथ है, चाहे यह सीधे तौर पर हो या परोक्ष रूप से। उन्होंने कहा, “यह सब देश को अस्थिर करने की कोशिश है। यह देशहित में नहीं है। यह जो घटनाएं हो रही हैं, उनका मकसद सिर्फ समाज में नफरत फैलाना है। भाजपा और संघ इस विवाद में शामिल हैं और इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता।”
क्या होगा सरकार का रुख?
अब इस मामले में सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को अदालत द्वारा नोटिस भेजे जाने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है। ओवैसी ने सरकार से सवाल किया कि अब वह इस विवाद को लेकर क्या कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार पूजास्थल अधिनियम का पालन करेगी, जिसे धार्मिक स्थलों की स्थिति में बदलाव के खिलाफ एक सुरक्षा कवच माना जाता है।
अजमेर दरगाह के विवाद पर ओवैसी का बयान एक बार फिर भाजपा और संघ पर सवाल उठाता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरा मुद्दा देश की धार्मिक एकता को खतरे में डालने की कोशिश है। ओवैसी का कहना है कि इस तरह के विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए और इसे राजनीतिक लक्ष्यों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
यह मामला केवल अजमेर दरगाह तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह देश भर में धार्मिक भावनाओं को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में इस विवाद के समाधान का रास्ता आसान नहीं होगा और इसमें सभी पक्षों को तटस्थ और शांतिपूर्ण समाधान के लिए एकजुट होने की जरूरत है।
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