मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लंदन में डॉ. अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि, संविधान की प्रस्तावना का किया वाचन

KNEWS DESK-  संविधान दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लंदन स्थित डॉ. बी.आर. अंबेडकर हाउस में पहुंचकर भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भारतीय संविधान की प्रति साथ लेकर संविधान की प्रस्तावना का वाचन भी किया। उनके साथ इस यात्रा पर गए दल के सदस्य भी इस ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस दौरान विजिटर्स बुक में अपने विचार भी अंकित किए और संग्रहालय का अवलोकन किया।

यह भवन खास महत्व रखता है क्योंकि डॉ. अंबेडकर ने वर्ष 1921-1922 के दौरान इस स्थान पर अपने अध्ययन के लिए निवास किया था। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की एकजुटता में बाबा साहेब का अहम योगदान है। डॉ. यादव ने कहा कि अंबेडकर ने उस समय समाज में होने वाली संभावित दरारों और विभाजन को पहचाना और इसके लिए ठोस कदम उठाए। वे जातिगत विषमता और भेदभाव से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को समझते हुए भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए कार्यरत रहे। मुख्यमंत्री ने डॉ. अंबेडकर को प्रेरणा स्रोत बताते हुए कहा कि वे व्यक्ति की क्षमता और योग्यता से समाज में बदलाव लाने के उदाहरण बने।

संविधान दिवस और डॉ. हरिसिंह गौर की जयंती

संविधान दिवस के दिन मध्यप्रदेश में विशेष रूप से एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ। मुख्यमंत्री ने इस दिन को और भी खास बताते हुए कहा कि यह दिन मध्यप्रदेश के लिए एक और ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक और संविधान सभा के सदस्य डॉ. हरिसिंह गौर की जयंती भी है।

डॉ. गौर ने अपनी सम्पत्ति का संपूर्ण हिस्सा सागर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए दान कर दिया था, जिससे यह विश्वविद्यालय बुंदेलखंड क्षेत्र में शिक्षा का प्रमुख केन्द्र बनकर उभरा। उन्होंने क्षेत्रवासियों के लिए शिक्षा के माध्यम से प्रगति के नए रास्ते खोले। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने डॉ. गौर की कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनका योगदान आज भी क्षेत्र की शिक्षा और विकास में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर डॉ. अंबेडकर और डॉ. गौर के योगदान को याद करते हुए संविधान और शिक्षा के क्षेत्र में उनके दृष्टिकोण को आज भी प्रासंगिक बताया। उनका मानना है कि डॉ. अंबेडकर और डॉ. गौर के आदर्शों पर चलकर ही हम एक समृद्ध और सशक्त समाज की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

संविधान दिवस पर डॉ. यादव द्वारा की गई यह श्रद्धांजलि और विचार व्यक्त करना, दोनों नेताओं के योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिससे लोकतंत्र, समानता और शिक्षा के महत्व को पुनः सामने लाया गया।

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