उत्तराखंड: केदारनाथ की आशा, विपक्ष में निराशा !

उत्तराखंड- उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ गये हैं। भाजपा ने भारी बहुमत के साथ केदारनाथ की सीट पर एक बार फिर कब्जा कर लिया है। भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने 5 हजार से अधिक वोटों से जीत हांसिल कर इतिहास रचा है। वहीं कांग्रेस मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा का उपचुनाव जीतने के बाद केदारनाथ में भी जीत को लेकर काफी आश्वस्त थी लेकिन पहले राउंड की मतगणना से ही कांग्रेस को पहले पायदान में आने तक का मौका नहीं मिला। उल्टा कांग्रेस की स्थिति शुरूआती रूझानों में दुसरे ओर तीसरे स्थान पर ही उपर नीचे हो रही थी। हालांकि अंत में कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत 18031 मतों के साथ दुसरे स्थान पर रहे हैं जबकि निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह चौहान 9266 मतों के साथ तीसरे स्थान पर आए हैं, कांग्रेस का कहना है कि वह इस हार का आंकलन करेगी। कांग्रेस का तर्क है कि सारी परिस्थितियां और मुद्दे कांग्रेस के पक्ष थे बावजूद इसके कांग्रेस को हार का सामना करना पडा है, बता दें कि आगामी निकाय और 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केदारनाथ का उपचुनाव कई मायनों में खास था। भाजपा का दावा है कि इस उपचुनाव की जीत का असर आगामी चुनाव में भाजपा के लिए सकारात्मक रहेगा सवाल ये है कि आखिर तमाम मुद्दों के बावजूद कांग्रेस को हार का सामना क्यों करना पड़ा। आखिर इस हार से कांग्रेस क्या सबक लेगी?

 केदारनाथ में एक बार फिर कमल खिला है। भाजपा प्रत्याशा आशा नौटियाल ने भाजपा की आशा को पूरा करते हुए 5 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हांसिल कर भाजपा में नई ऊर्जा का संचार किया है। बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनाव में हार का सामना करने के बाद भाजपा की धडकने भी बढ़ी हुई थी हांलाकि नतीजे सामने आने के बाद भाजपा में जश्न का माहौल है। वहीं मुख्यमंत्री धामी ने केदारनाथ की जनता का आभार व्यक्त किया है। जबकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का तर्क है कि केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा की जीत केवल एक उपचुनाव में जीत नहीं बल्कि विपक्ष की झूठ की राजनीति और भ्रामक प्रचार को जनता की ओर से स्पष्ट रूप से नकारे जाने का प्रमाण है। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि तमाम मुद्दे कांग्रेस के पक्ष में थे। बावजूद इसके कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है इसपर मंथन किया जाएगा।

आपको बता दें कि इस वर्ष 9 जुलाई को केदारनाथ विधानसभा की विधायक शैलारानी रावत के निधन से सीट खाली हो गई थी। केदारनाथ उपचुनाव के नतीजे कई मायनों में खास है आगामी निकाय चुनाव के साथ ही 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले इस सीट पर मिली जीत हार का असर देखने को मिलेगा हालांकि हार का सामना करने के बाद कांग्रेस का कहना है कि हर चुनाव के मुददे अलग अलग होते हैं जबकि भाजपा का कहना है कि इस जीत ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया है। आने वाले चुनावों में इसका सकारात्मक असर देखने को मिलेगा?

कुल मिलाकर केदारनाथ उपचुनाव के नतीजे कई मायनों में खास हैं. एक ओर जहां केदारनाथ की जनता ने भाजपा के भरोसे को जारी रखा है तो वही दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे और केदारनाथ में चल रहे पुननिर्माण के कार्यों पर भी मुहर लगाई है। हांलाकि कांग्रेस के लिहाज से यह नतीजे निराशाजनक जरूर रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस इस हार क्या सबक लेती है?

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