उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, केदारनाथ विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। केदारनाथ की जनता ने 6 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है। ऐसे में अब सबकी निगाहे 23 नवंबर को आने वाले परिणाम पर टिक गई है। केदारनाथ का चुनावी दंगल कई मायनों में खास है….एक ओर जहां केदारनाथ का परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनेगा तो वही दूसरी ओर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा के साथ ही विचारधारा भी दांव पर है। बदरीनाथ में हार के बाद भाजपा को वैचारिक मोर्चे पर रक्षात्मक होना पड़ा था। पार्टी ऐसी असहज स्थिति दोबारा नहीं बनने देना चाहती, इसलिए पार्टी ने उपचुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत लगाई…वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस ने इस उपचुनाव में एकजुटता का संदेश देते हुए घर-घर जाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया है। कांग्रेस की चाहत है कि केदारनाथ में जीत के साथ 2027 के लिए एक बड़ा संदेश दिया जाए। क्योंकि लोकसभा चुनाव में पांचों सीट हारने के बाद कांग्रेस के हौसले पस्त थे, लेकिन बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में जीत ने कांग्रेस को उम्मीदों से भर दिया है। आपको बता दें कि इस वर्ष 9 जुलाई को केदारनाथ विधानसभा की विधायक शैलारानी रावत के निधन से यह सीट खाली हो गई थी। वहीं भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है दोनों ही दलों ने अपने अपने जीत के दावे भी किये हैं।
उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में जनता छह प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ले लिया है। बुधवार को हुए मतदान में जनता ने बड़ी संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इस सीट पर कुल 90875 मतदाता है. जिसमें 44919 पुरूष, जबकि 45956 महिला मतदाता है. वहीं निर्वाचन आयोग ने कुल 173 पोलिंग बूथ बनाए थे जहां सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान की प्रक्रिया चली..वहीं केदारनाथ में भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है. भाजपा ने पूर्व विधायक आशा नौटियाल जबकि कांग्रेस ने मनोज रावत को प्रत्याशी बनाया है. दोनों ही दल अब जीत के दावे भी करने लगे हैं। वहीं मतदाताओं का कहना है कि वह रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार के लिए मतदान कर रहे हैं
आपको बता दें कि इस वर्ष 9 जुलाई को केदारनाथ विधानसभा की विधायक शैलारानी रावत के निधन से सीट खाली हो गई थी। केदारनाथ का उपचुनाव कई मायनों में खास है आगामी निकाय चुनाव के साथ ही 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले इस सीट पर मिली जीत हार का असर देखने को मिलेगा…लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की चाहत है कि केदारनाथ में जीत के साथ 2027 के लिए एक बड़ा संदेश देने की भी है। वहीं बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में जीत ने उम्मीदों से भर दिया है।
कुल मिलाकर केदारनाथ उपचुनाव में मतदान की प्रक्रिया गतिमान है. केदारनाथ के 90 हजार से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर छह प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला लेने जा रहे हैं। भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। दोनों ही दल अपने अपने जीत के दावे कर रहे हैं. इंतजार अब 23 नवंबर का है जब मतगणना के बाद स्थिति साफ हो पाएगी.