KNEWS DESK – महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले सियासत में एक और बड़ा हंगामा खड़ा हो गया है। गोरेगाव पूर्व दिंडोशी विधानसभा क्षेत्र से एकनाथ शिंदे गुट के उम्मीदवार संजय निरुपम की इनोवा कार से करोड़ों रुपए बरामद होने की खबर सामने आई है। यह कार मंत्री पार्क सोसाइटी के सामने खड़ी थी, जिस पर शिंदे गुट के नेता का स्टीकर लगा हुआ था। पुलिस ने तुरंत कार को जब्त कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
बताया जा रहा है कि संजय निरुपम की इनोवा कार से भारी मात्रा में नकद राशि बरामद हुई है, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ये पैसे किसके थे और इन्हें चुनाव से ठीक पहले क्यों रखा गया था। पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या इन पैसों का चुनावी गतिविधियों से कोई संबंध है। इस मामले में संजय निरुपम का बयान अभी तक नहीं आया है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक हलकों में सियासी बवाल मच गया है।
पहले भी सामने आए थे कैश कांड
यह पहला मामला नहीं है जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नकदी के मामले सामने आए हैं। इससे पहले मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर भी पैसे बांटने का आरोप लगाया गया था। हुजन विकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने तावड़े पर 5 करोड़ रुपए लेकर वोटरों को पैसे बांटने का आरोप लगाया। हालांकि, तावड़े ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है और चुनाव आयोग से मामले की जांच करने की अपील की है। उनका कहना था कि वह नालासोपारा में विधायकों की बैठक के लिए पहुंचे थे, और आरोप बिल्कुल निराधार हैं।
रोहित पवार के पोते के कर्मचारी पर भी लगा आरोप
इसके अलावा, शरद पवार के पोते रोहित पवार की कंपनी बारामती एग्रो के एक अधिकारी मोहिते को भी पैसे बांटते हुए गिरफ्तार किया गया था। मोहिते को सतारा, कर्जत, और जामखेड विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं को रिश्वत देने के आरोप में पकड़ा गया। पुलिस ने मोहिते के पास से एक लिस्ट भी बरामद की है, जिसमें यह जानकारी थी कि कितने लोगों को पैसे दिए गए हैं और कितने लोगों को दिए जाने हैं।
सियासत में गरमी, विरोधी दलों का आरोप
महाराष्ट्र में चुनाव के ठीक पहले सामने आए इन कैश कांड के मामलों ने सियासी हलकों में तूफान मचा दिया है। विपक्षी दलों ने इन घटनाओं को लेकर सरकार और सत्ताधारी दल पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि चुनाव में पैसे बांटने की घटनाएं चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।