KNEWS DESK – लगभग 28 साल के लंबे इंतजार के बाद, पाकिस्तान को 2025 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी करने का मौका मिला है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बनाने के लिए स्टेडियमों की मरम्मत से लेकर सुरक्षा इंतजामों तक, हर पहलू पर बड़े पैमाने पर निवेश किया है। लेकिन बीसीसीआई के भारत को पाकिस्तान न भेजने के फैसले के बाद आयोजन पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। भारत ने एशिया कप के ‘हाइब्रिड मॉडल’ को चैंपियंस ट्रॉफी में लागू करने की मांग की है, जिससे टूर्नामेंट का कुछ हिस्सा पाकिस्तान और कुछ हिस्सा अन्य देशों में आयोजित किया जा सके। वहीं पीसीबी अपनी मेजबानी पूरी तरह से पाकिस्तान में रखना चाहता है। दोनों क्रिकेट बोर्डों के इस विवाद के चलते अब आईसीसी और पीसीबी के पास कुछ ही विकल्प बचे हैं।
आईसीसी और पीसीबी के पास उपलब्ध विकल्प क्या हैं?
इस समय, चैंपियंस ट्रॉफी के सफल आयोजन के लिए आईसीसी और पीसीबी के पास तीन प्रमुख विकल्प हैं:
- हाइब्रिड मॉडल को अपनाना
पहला विकल्प यह है कि पीसीबी हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार कर ले, जिसमें टूर्नामेंट के 15 में से 5 प्रमुख मुकाबले – जिसमें सेमीफाइनल और फाइनल भी शामिल हो सकते हैं – को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) या किसी अन्य सुरक्षित देश में शिफ्ट कर दिया जाए। इस मॉडल को मान लेने पर टूर्नामेंट के बाकी मुकाबले पाकिस्तान में आयोजित हो सकते हैं। हालांकि, इससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है और उसकी मेजबानी का सपना भी कुछ हद तक धूमिल हो सकता है। - चैंपियंस ट्रॉफी को अन्य देश में शिफ्ट करना
दूसरा विकल्प यह है कि चैंपियंस ट्रॉफी की पूरी मेजबानी पाकिस्तान से हटाकर किसी अन्य देश में दी जाए। इससे पीसीबी की मेजबानी समाप्त हो जाएगी, लेकिन आईसीसी के लिए यह विकल्प दर्शकों और प्रसारण अधिकारों के मद्देनजर सुरक्षित हो सकता है। यदि ऐसा होता है, तो पीसीबी इस निर्णय के विरोध में अपनी मेजबानी से पूरी तरह हाथ खींच सकता है। परंतु, इस स्थिति में आईसीसी पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा सकता है और किसी अन्य टीम को शामिल कर सकता है, जिससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का आर्थिक नुकसान तय है। - टूर्नामेंट को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना
तीसरा और अंतिम विकल्प यह है कि चैंपियंस ट्रॉफी को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया जाए। हालांकि, यह विकल्प पीसीबी के लिए आर्थिक रूप से सबसे हानिकारक साबित हो सकता है। क्योंकि न सिर्फ उसकी मेजबानी की फीस चली जाएगी, बल्कि टूर्नामेंट के लिए किए गए सभी खर्च, जैसे स्टेडियम की मरम्मत और अन्य इंतजामात पर किया गया निवेश, पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।
पीसीबी को संभावित आर्थिक नुकसान
इन तीनों विकल्पों में से कोई भी पीसीबी के लिए फायदे का सौदा नहीं है। आईसीसी टूर्नामेंट में भारतीय टीम की गैरमौजूदगी ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू पर गहरा असर डाल सकती है, क्योंकि भारतीय फैंस की संख्या और उनकी फॉलोइंग के कारण ही टूर्नामेंट को व्यापक दर्शक वर्ग मिलता है। आईसीसी के प्रसारण अधिकार भी भारतीय कंपनियों के पास हैं, जो बीसीसीआई के समर्थन के बिना कमाई में गिरावट का सामना कर सकते हैं। क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, इन परिस्थितियों में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को 65 मिलियन डॉलर यानी लगभग 548 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।