KNEWS DESK – मशहूर लोकगायिका और पद्मभूषण शारदा सिन्हा का आज पटना के गुलबी घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके निधन से संगीत की दुनिया में एक बड़ा शोक व्याप्त है। शारदा सिन्हा की अंतिम यात्रा राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से सुबह करीब पौने नौ बजे शुरू हुई। इस दौरान उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने मां की अर्थी को कंधा दिया। शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार के दौरान उनकी याद में घाट पर ‘शारदा सिन्हा अमर रहें’ और ‘जय छठी मईया’ के जयकारे गूंजते रहे। इस मौके पर उनकी परिजनों और स्थानीय लोगों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक हस्तियां भी मौजूद थीं।
मंगलवार रात दिल्ली के एम्स में हुआ था निधन
आपको बता दें कि ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जानी जाने वाली लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में मंगलवार रात दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार के समय घाट पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे और सबकी आंखों में आंसू थे। बेटे अंशुमन सिन्हा, जो खुद भी संगीत और कला के क्षेत्र में सक्रिय हैं, ने मां के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। इस दुखद अवसर पर बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरसिया भी मौजूद थे। बिहार की राजनीति के कई प्रमुख चेहरे भी शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे।
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमन ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था, “मां का जाना पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। वह अद्वितीय थीं, उनका जैसा कोई दूसरा नहीं हो सकता। प्रभु ने जो चाहा, वह हो गया है।” शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा भी यही थी कि उनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर किया जाए, जहां उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी बिताई और अपने परिवार को हमेशा यही स्थान पसंद था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी श्रद्धांजलि
शारदा सिन्हा के निधन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 6 नवंबर को उनके पटना स्थित आवास पर पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाकात की और शोक व्यक्त किया। उन्होंने शारदा सिन्हा के योगदान को सलाम करते हुए कहा कि उनकी आवाज़ ने लोकगीतों को नई पहचान दी और वह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा बन गईं। नीतीश कुमार ने ट्वीट भी किया, “बिहार कोकिला, पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित स्वर्गीय शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।”
लोक संगीत की दुनिया को दी एक नई दिशा
शारदा सिन्हा के निधन से संगीत की दुनिया में एक रिक्तता आ गई है। उन्होंने अपनी गायकी से लोक संगीत की दुनिया को एक नई दिशा दी और अपनी आवाज़ से करोड़ों दिलों को छुआ। उनका लोकगीत “छठी मईया से प्रार्थना बा” आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। उन्होंने अपनी गायकी के माध्यम से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संजोया बल्कि उसे राष्ट्रीय मंच पर भी पहचान दिलाई।
उनकी गायकी ने न केवल लोक संगीत को नया आयाम दिया बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया। शारदा सिन्हा का योगदान न सिर्फ संगीत की दुनिया में बल्कि समाज और संस्कृति में भी अद्वितीय था।
2017 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित
शारदा सिन्हा को उनके अद्वितीय योगदान के लिए 2017 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने जीवन में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए और उनका योगदान भारतीय लोक संगीत में हमेशा याद किया जाएगा। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा का भी अंतिम संस्कार इसी गुलबी घाट पर किया गया था। उनके निधन से संगीत की दुनिया में एक युग का समापन हुआ है। शारदा सिन्हा का नाम हमेशा भारतीय लोकगायन के क्षेत्र में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।