KNEWS DESK – बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा आज पंचतत्व में विलीन हो जाएंगी। उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। इस अवसर पर बिहार की राजनीति, समाज और सांस्कृतिक जीवन के प्रमुख चेहरे उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उपस्थित होंगे। शारदा सिन्हा के निधन पर राज्यभर में शोक की लहर है, और उनकी मृत्यु ने हर उम्र के लोगों को गहरे दुःख में डुबो दिया है।
अंतिम दर्शन के लिए राजेंद्र नगर पहुंचे लोग
आपको बता दें कि भोजपुरी संगीत की प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें बिहार कोकिला के नाम से जाना जाता है, का 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। 72 वर्ष की आयु में कैंसर से जूझते हुए शारदा सिन्हा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर फैल गई है।
आज, 7 नवंबर यानि आज उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ पटना के गुलबी घाट पर किया जाएगा, जो उनके परिवार और उनकी इच्छा के अनुरूप है। शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने पहले ही पुष्टि कर दी थी कि उनकी मां का दाह संस्कार उसी स्थान पर किया जाएगा, जहां उनके पति ब्रज किशोर सिन्हा का अंतिम संस्कार हुआ था। पटना के राजेंद्र नगर स्थित शारदा सिन्हा के आवास पर उनके अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही भारी भीड़ जुटने लगी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के पार्थिव शरीर पर पुष्प-चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शोक संवेदनाओं और यादों का दौर चला, और शारदा सिन्हा के साथ बिताए गए सुनहरे क्षणों को लोगों ने याद किया।
राजकीय सम्मान के साथ होगा दाह संस्कार
सीएम नीतीश कुमार, विपक्षी नेता तेजस्वी यादव, और भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे के अलावा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी आज शाम पटना पहुंचेंगे। वे शारदा सिन्हा के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। गुलबी घाट पर शारदा सिन्हा का दाह संस्कार उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप होगा, जहां उनके पति ब्रज किशोर सिन्हा का भी 22 सितंबर को दाह संस्कार किया गया था।
गुलबी घाट पर अंतिम विदाई
शारदा सिन्हा का निधन न केवल बिहार, बल्कि समूचे देश के संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके परिवार के मुताबिक, शारदा सिन्हा का मनोबल उनके पति के निधन के बाद टूट चुका था। बेटे अंशुमान सिन्हा ने बताया कि मां अक्सर कहती थीं कि उन्हें भी गुलबी घाट पर ही अंतिम विदाई दी जाए, जहां उनके पति का दाह संस्कार हुआ था। इस कारण परिवार ने उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए गुलबी घाट पर ही उनका दाह संस्कार करने का निर्णय लिया।
शारदा सिन्हा का योगदान
शारदा सिन्हा को बिहार की लोक संस्कृति और गायन का एक अहम हिस्सा माना जाता है। उनका गायन न केवल पारंपरिक लोक गीतों में गूंजता था, बल्कि उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाई। उनके गाए हुए गीत आज भी बिहार की मिट्टी और उसकी लोक धरोहर का प्रतीक माने जाते हैं। “बिहार कोकिला” के नाम से प्रसिद्ध शारदा सिन्हा का संगीत जीवनभर याद किया जाएगा। शारदा सिन्हा को उनके अद्वितीय संगीत करियर के लिए 2009 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। हालांकि, उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने हाल ही में खुलासा किया कि उनकी मां की अंतिम इच्छा यह थी कि उन्हें भारत रत्न मिलें| उनकी इस इच्छा को न केवल उनके परिवार, बल्कि देशभर में शारदा सिन्हा के चाहने वालों ने भी सराहा और समर्थन किया।
शोक का माहौल
शारदा सिन्हा के निधन की खबर फैलते ही पूरे बिहार में शोक का माहौल था। उनके निधन के बाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं और उनके योगदान को राज्य के सांस्कृतिक जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। शारदा सिन्हा के निधन से भोजपुरी संगीत और भारतीय लोक संगीत की दुनिया में एक खालीपन आ गया है, जिसे कभी भी पूरा नहीं किया जा सकेगा।
अलविदा ‘बिहार कोकिला’
आज जब शारदा सिन्हा को अंतिम विदाई दी जाएगी, तो उनकी आवाज़ और उनके गीत हमेशा बिहारवासियों के दिलों में गूंजते रहेंगे। उन्होंने अपनी गायकी से लाखों लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई, और उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। शारदा सिन्हा के बिना भोजपुरी संगीत और बिहार की सांस्कृतिक धरोहर अपूरणीय क्षति को महसूस करेगी, लेकिन उनकी धुनें और गीत सदैव हमारे साथ रहेंगे।