सीएम सोरेन की उड़ान में देरी पर झामुमो का विरोध, राष्ट्रपति मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की

KNEWS DESK-  झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राज्य की सियासत में घमासान तेज हो गया है। सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की है। पार्टी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हेलीकॉप्टर की उड़ान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी दौरे के कारण डेढ़ घंटे तक रोक दिया गया, जिससे उन्हें चुनाव प्रचार में बाधा आई।

झामुमो का राष्ट्रपति को पत्र

झामुमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़वा और चाईबासा दौरे के मद्देनजर राज्य में नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया था, जिसके कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने की अनुमति में देरी हुई। पार्टी का कहना है कि सीएम सोरेन को 22 अक्टूबर को पश्चिमी सिंहभूम के गुदरी में एक बैठक और सिमडेगा के बाजार टांड में चुनावी सभा संबोधित करनी थी। हालांकि, पीएम मोदी का चाईबासा दौरा भी उसी दिन था, और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हेलीकॉप्टर की उड़ान रोक दी गई।

झामुमो ने अपने पत्र में लिखा कि गुदरी और चाईबासा के बीच की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है, जबकि सिमडेगा चाईबासा से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। इसके बावजूद, सोरेन के हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने की अनुमति में इतनी लंबी देरी की गई, जबकि चुनाव आयोग ने सोरेन के दौरे को मंजूरी दी थी।

झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का आरोप

झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पत्र में कहा कि चुनाव आयोग ने सुरक्षा कारणों से केवल 50 किलोमीटर के दायरे में 15 मिनट के लिए नो-फ्लाइंग जोन घोषित किया था। बावजूद इसके, सीएम हेमंत सोरेन के हेलीकॉप्टर को डेढ़ घंटे तक उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी गई, जो कि चुनावी प्रचार में एक बड़ी बाधा बनी।

उन्होंने कहा, “यह सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है और यह दिखाता है कि सत्ता पक्ष के नेताओं को चुनावी प्रचार में विशेष सहूलियत दी जाती है, जबकि विपक्षी नेताओं को मुश्किलें पैदा की जाती हैं।”

राष्ट्रपति से समान अवसर की मांग

झामुमो ने पत्र में यह भी लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासी समुदाय से आते हैं और उन्होंने लंबी संघर्ष की प्रक्रिया के बाद इस पद को प्राप्त किया है। पार्टी ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे सुनिश्चित करें कि आदिवासी जनप्रतिनिधियों समेत सभी स्टार प्रचारकों को चुनाव प्रचार के दौरान समान अवसर मिले और संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का सम्मान किया जाए।

झामुमो का आरोप है कि यह पूरी घटना आदिवासी समुदाय के नेताओं के खिलाफ भेदभाव की भावना को दर्शाती है। पार्टी ने राष्ट्रपति से यह भी अपील की कि वे सुनिश्चित करें कि चुनाव आयोग और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा कोई भी पक्षपाती कदम न उठाया जाए, और सभी नेताओं को समानता के आधार पर चुनाव प्रचार की अनुमति दी जाए।

झारखंड में विधानसभा चुनावों का माहौल अब और भी गरमाता जा रहा है। राज्य में विपक्षी दलों द्वारा झामुमो और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए आरोप लगाए जा रहे हैं कि राज्य में सत्ता की लड़ाई के दौरान सरकारी संस्थाओं का इस्तेमाल सत्तारूढ़ दल के पक्ष में किया जा रहा है। वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी का आरोप है कि विपक्षी दलों को चुनावी प्रचार में असुविधाएं पैदा की जा रही हैं, जिससे वे प्रभावी ढंग से चुनावी मैदान में अपनी ताकत नहीं दिखा पा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और क्या चुनाव आयोग की भूमिका पर कोई सवाल खड़ा होता है।

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