भक्तों की उमड़ी भीड़
आपको बता दें की आज गोवर्धन पूजा के अवसर पर गिरिराज जी की तलहटी में लाखों भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। “सब देवन कौ देव है आज यई को ध्यान धरिंगे…” जैसे भजनों की धुन पर गिरिराज धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर ऐसा लगा जैसे हर कोई भगवान के चरणों में समर्पित हो गया हो। भक्त गिरिराज महाराज के जयकारे लगाते हुए गोवर्धन की परिक्रमा में जुटे थे, और सभी जगह आस्था का आलम देखने को मिला।
अन्नकूट महोत्सव का महत्व
इस वर्ष गोवर्धन पूजा के अवसर पर अन्नकूट महोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र देव का मान मर्दन करते हुए बृजवासियों से गिरिराज पर्वत की पूजा कराई थी। इस पूजा में बृजवासियों ने घर-घर में अन्नकूट और विविध व्यंजन बनाकर गोवर्धन पर्वत को अर्पित किए। भगवान ने खुद गोवर्धन पर्वत में प्रवेश कर अन्नकूट ग्रहण किया था, जिससे यह पर्व विशेष महत्व रखता है।
परिक्रमा की अद्भुत छटा
इस दिन गिरिराज जी की परिक्रमा में भक्तों का ऐसा सैलाब उमड़ा कि मानव श्रृंखला का दृश्य देखने को मिला। भक्तों ने गिरिराज दानघाटी मंदिर के दर्शन करते हुए मानसी गंगा की ओर बढ़ते हुए अन्नकूट महोत्सव का प्रसाद ग्रहण किया। सभी भक्त एक-दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व का आनंद ले रहे थे, और जगह-जगह अन्नकूट महोत्सव का प्रसाद वितरित किया गया।
संस्कृति का जश्न
गोवर्धन पूजा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी जश्न है। इस अवसर पर देश और विदेश के भक्तों ने मिलकर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर अपनी श्रद्धा अर्पित की। गोवर्धन की इस अद्भुत पूजा ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि आस्था और संस्कृति का संगम कितना खूबसूरत होता है।