KNEWS DESK – नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है, हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और इस दिन लोग विशेष रूप से यम देवता की पूजा करते हैं। इस अवसर पर यम दीप जलाने की परंपरा भी है, जो इस दिन को और खास बनाती है।
नरक चतुर्दशी का महत्व
नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 30 अक्टूबर 2024 को आएगी। इस दिन लोग भगवान कुबेर, देवी लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और यम देव की पूजा करते हैं। यम दीप जलाना इस दिन का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो शुद्धता और श्रद्धा के साथ किया जाता है।
यम दीप कैसे बनाएं?
- दीपक तैयार करें: गेहूं के आटे से एक दीपक बनाएं और उसमें चार बत्तियां लगाएं।
- तेल डालें: दीपक में सरसों का तेल डालें।
- गंगाजल का छिड़काव: दीपक के चारों ओर गंगाजल छिड़कें।
- दिशा का ध्यान: दीपक को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में रखें, क्योंकि यह यमराज की दिशा मानी जाती है।
- अनाज रखें: दीपक के नीचे कोई अनाज अवश्य रखें।
- प्रार्थना करें: दीपक जलाने के बाद परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें।
यम दीप जलाने का सही समय
इस साल, चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को 1:15 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 31 अक्टूबर को 3:52 बजे होगा। इस दिन सूर्यास्त के बाद यम दीपक जलाना महत्वपूर्ण है। पूजा का शुभ मुहूर्त 5:36 बजे से लेकर 6:05 बजे तक रहेगा।
यम दीप का धार्मिक महत्व
यम दीप जलाना न केवल पितरों का आशीर्वाद पाने का एक तरीका है, बल्कि यह घर में सुख-शांति बनाए रखने में भी सहायक है। दक्षिण दिशा में यम दीप जलाने से पितरों को मुक्ति मिलती है और यह माना जाता है कि यमराज की कृपा से जीवन में समस्याएं कम होती हैं।
यम दीप जलाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- यम दीप को हमेशा शुद्ध घी से जलाएं।
- दीपक साफ और सुंदर होना चाहिए।
- दीपक में बत्ती रुई की अच्छी तरह से बनी होनी चाहिए।
- जलाते समय यमराज के मंत्र का जाप करें।
- दीपक जलाते समय मन में शुद्ध भाव रखें।