KNEWS DESK- हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने धान खरीद के दौरान किसानों की शिकायतों पर गंभीरता से संज्ञान लिया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मंडियों में खरीद एजेंसियां 17 प्रतिशत तक नमी वाले धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सुनिश्चित करें। शुक्रवार को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अधिकारियों के साथ आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने किसानों के साथ फोन पर बात करके उनकी समस्याओं को सुना।
किसानों ने मुख्यमंत्री को सूचित किया कि धान खरीद के दौरान कट लगने की समस्या उत्पन्न हो रही है। इस पर सीएम ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार के लिए किसान हित सर्वोपरि है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को किसी प्रकार की कटौती का सामना न करना पड़े।
गेहूं कटौती की राशि जारी करने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने आढ़तियों की समस्याओं को भी ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष की गेहूं कटौती की राशि को तुरंत प्रभाव से जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मंडियों में किसानों की उपज खरीद के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर रही है, ताकि खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
विकास के प्रति संकल्पित
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह भी कहा कि हम “नॉन स्टॉप हरियाणा” के लिए तीन गुणा रफ्तार से काम करेंगे। उन्होंने विपक्ष के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जनहित में जो भी सुझाव मिलेंगे, उनका सम्मान किया जाएगा और जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव और सहयोग का संकल्प
हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद सैनी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश कि “हम सबको विश्वास में लेकर चलना चाहते हैं,” हर बैठक में उनका मूल मंत्र रहेगा। उन्होंने पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों को साथ लेकर चलने का संकल्प भी दोहराया।
पूर्व सीएम की प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने स्पीकर के पद को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उनकी जिम्मेदारी है कि वे सभी सदस्यों को साथ लेकर चलें। उन्होंने कहा कि स्पीकर सदन में सभी को बोलने का अवसर प्रदान करते हैं, जबकि पूर्व स्पीकर डॉ. रघुबीर सिंह कादियान ने इसे “कांटों भरा ताज” बताया, जो सदन के सदस्यों के प्रोटेक्टर होते हैं। यह सभी पहलें हरियाणा की राजनीतिक स्थिरता और किसानों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
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