भारत-चीन विवाद में नया मोड़, देपसांग और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया शुरू

KNEWS DESK –  भारत और चीन के बीच पिछले चार वर्षों से पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य गतिरोध में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। बुधवार, 23 अक्टूबर को दोनों देशों के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से अपने-अपने स्थानों से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की। यह कदम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को फिर से बहाल करने और सीमा पर शांति की स्थापना के उद्देश्य से लिया गया है।

देपसांग और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया

भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी का 50 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। यह पूरी प्रक्रिया सीनियर स्तर पर किए गए समझौतों के आधार पर स्थानीय कमांडरों द्वारा प्रबंधित की जा रही है। दोनों देशों के बीच समन्वय के साथ यह डिसइंगेजमेंट कार्य 28-29 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा, जिससे सीमा पर तनाव कम होने की उम्मीद है।

यह पहली बार है जब अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है, जो भारत की मांग थी। समझौते के तहत, भारतीय और चीनी सेनाएं अपने-अपने निर्धारित क्षेत्रों में 2 से 10 किमी की दूरी तक पीछे हटेंगी। इसके अतिरिक्त, दोनों पक्षों ने सीमा पर तैनात कुछ अस्थायी टेंटों को भी हटा दिया है, जिसमें भारतीय सैनिक चार्डिंग नाला के पश्चिमी किनारे की ओर और चीनी सैनिक नाला के पूर्वी किनारे की ओर पीछे हट गए हैं।

दिवाली के बाद फिर से शुरू होगी गश्त

समझौते के तहत, दिवाली के बाद देपसांग और डेमचोक में गश्त फिर से शुरू करने की योजना है। गश्त के दौरान, दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे को गश्त के बारे में नियमित रूप से सूचित करेंगे और संचार को बनाए रखेंगे। इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने और एलएसी पर शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी।

समझौते की घोषणा और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

इस समझौते की घोषणा 21 अक्टूबर को की गई थी, जिसमें भारत ने एलएसी पर गश्त के पुन: प्रारंभ के लिए चीन के साथ समझौता करने की बात कही थी। इस घोषणा के अगले दिन, चीन ने भी इसकी पुष्टि की, जिससे दोनों देशों के बीच एक सकारात्मक संकेत मिला। यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई।

प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच बातचीत से इस समझौते को और मजबूती मिलने की संभावना है। दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात से यह साफ हो गया है कि भारत और चीन अब सीमा पर तनाव को कम करने और आपसी संबंधों को सुधारने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं।

गलवान घाटी संघर्ष के बाद बड़ी सफलता

यह समझौता मई 2020 में गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद से चली आ रही तनावपूर्ण स्थिति को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। चार साल से अधिक समय तक चली इस जटिल स्थिति में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया का यह पहला महत्वपूर्ण कदम है। देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी से यह संकेत मिलता है कि दोनों देश कूटनीति और शांति के मार्ग पर आगे बढ़ने के इच्छुक हैं।

भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय

इस समझौते से भारत और चीन के संबंधों में एक सकारात्मक मोड़ आ सकता है। हालांकि, केवल देपसांग और डेमचोक तक सीमित यह समझौता अप्रैल 2020 की स्थिति को पूरी तरह से बहाल नहीं करता, लेकिन यह भविष्य के संवाद के लिए एक आधार प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच पारस्परिक विश्वास और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए यह समझौता एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

भारत-चीन सीमा विवाद में इस नई पहल से यह उम्मीद है कि दोनों देश आपसी संबंधों को सुधारने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करेंगे, जिससे सीमा पर शांति बहाल होगी और दोनों देशों के नागरिकों के बीच विश्वास और सौहार्द बढ़ेगा।

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.