उत्तराखंड: सियासत जारी, यूसीसी की तैयारी !

उत्तराखंड- उत्तराखंड में होने वाले केदारनाथ उपचुनाव से पहले राज्य में एक बार फिर यूसीसी पर नया सियासी संग्राम छिड़ गया है। दअरसल कांग्रेस का आरोप है कि केदारनाथ उपचुनाव में लाभ लेने के उद्देश्य से धामी सरकार यूसीसी लाने में जल्दबाजी कर रही है। इसके साथ ही कांग्रेस का कहना है कि यूसीसी के जरिए सरकार राज्य के मूल सरोकारों से ध्यान भटकाने की साजिश कर रही है। वहीं सरकार का दावा है कि यूसीसी जनता की मांग के अनुरूप लागू किया जा रहा है। यूसीसी प्रत्येक उत्तराखंडवासी के लिए गौरव का क्षण है साथ ही उत्तराखंड पहला राज्य यूसीसी लागू करने वाला बनने जा रहा है। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है।

आपको बता दें कि यूसीसी की नियमावली बनकर तैयार हो गई है। नियमावली के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने नियमावली का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंप दिया है। वहीं सरकार अब यूसीसी को विधिवत रूप से लागू करने के लिए जल्द ही कैबिनेट में मंथन कर इसे लागू करने जा रही है। बता दें कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर यूसीसी लागू करने का ऐलान किया है। हालांकि कई जानकारों ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर भी प्रदेश में यूसीसी लागू होने पर सवाल उठाए हैं। सवाल ये है कि क्या यूसीसी असल मुद्दों से ध्यान हटाने का तरीका है। आखिर इसके लागू होने से क्या फायदा और नुकसान होगा?

उत्तराखंड की धामी सरकार यूसीसी लागू करने की दिशा में एक ओर कदम आगे बढ़ गई है। इसके तहत यूसीसी की नियमावली के लिए गठित विशेष समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नियमावली का ड्राफ्ट सौंपा है। बता दें कि समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए सेवानिवृत्त आई.ए.एस. शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में ‘नियमावली और क्रियान्वयन समिति’ का गठन किया गया था। इस समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नियमावली का ड्राफ्ट सौंप दिया है। वहीं मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार अब इस नियमावली का अध्यन्न करेगी। इसके बाद अब यूसीसी को विधिवत रूप से लागू करने के लिए जल्द ही कैबिनेट बुलाई जाएगी। वहीं विपक्ष का कहना है कि यूसीसी भाजपा का एजेंडा है ना कि जनता की मांग है।

 कुल मिलाकर केदारनाथ उपचुनाव से पहले राज्य में एक बार फिर यूसीसी पर सियासी महाभारत छिड़ गया है एक ओर जहां सरकार जनता से किये हुए वादे को पूरा करना बता रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बता रहा है सवाल ये है कि उत्तराखंड की पहली प्राथमिकता यूसीसी है या सख्त भू कानून, क्या केंद्र सरकार के संसद में कानून बनाए बिना प्रदेश में यूसीसी कितना कारगर होगा,क्या यूसीसी को भविष्य में कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है या नहीं?

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