कन्या पूजन की तिथि
नवरात्रि के समय, कन्या पूजन की परंपरा का विशेष महत्व है। इस बार महाअष्टमी और नवमी तिथि के बीच समय की उलझन बनी हुई है।
महाअष्टमी तिथि: 10 अक्टूबर को दोपहर 12:32 बजे से आरंभ होगी।
नवमी तिथि: 11 अक्टूबर को 12:07 बजे से शुरू होगी और 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 बजे तक रहेगी।
जो लोग महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन करना चाहते हैं, वे 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 बजे से पहले पूजा कर सकते हैं।
महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
- शुभ चौघड़िया: सुबह 7:46 से 10:40 बजे तक।
नवमी के दिन कन्या पूजन
- शुभ चौघड़िया: 12 अक्टूबर को सुबह 7:50 से 9:14 बजे तक।
कन्या पूजन की विधि
निमंत्रण: कन्याओं को एक दिन पहले निमंत्रण दें।
स्वागत: घर आने पर उनका आदर-सम्मान करें।
पैर धोना: साफ जल से उनके पैर धोएं और पोंछें।
आसन: सभी कन्याओं को लाल रंग के आसन पर बिठाएं।
तिलक: उन्हें कुमकुम से तिलक करें और कलावा बांधे।
भोग: हलवा, काले चने और पूरी का भोग लगाएं। कन्याओं की संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए।
दक्षिणा: भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा दें।
विदाई: जाते समय उन्हें अक्षत दें और मां दुर्गा के नाम का जयकारा लगाते हुए विदाई करें।
कन्या पूजन का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, 2 से 9 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन करना शुभ माना जाता है। प्रत्येक उम्र की कन्या का पूजन अलग महत्व रखता है, 2 वर्ष की कन्या: कौमारी – दुखों से छुटकारा, 3 वर्ष की कन्या: त्रिमूर्ति – परिवार का कल्याण, 4 वर्ष की कन्या: कल्याणी – सुख समृद्धि, 5 वर्ष की कन्या: रोहिणी – रोगों से मुक्ति, 6 वर्ष की कन्या: कालिका – ज्ञान की वृद्धि, 7 वर्ष की कन्या: चंडिका – ऐश्वर्य की प्राप्ति, 8 वर्ष की कन्या: शांभवी – लोकप्रियता में वृद्धि, 9 वर्ष की कन्या: मां दुर्गा का स्वरूप – शत्रुओं पर विजय।