KNEWS DESK – कंगना रनौत की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘इमरजेंसी’ एक बार फिर सुर्खियों में है। इस फिल्म को लेकर चल रहे विवाद पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें प्रोडक्शन कंपनी जी स्टूडियोज के वकील ने कोर्ट को बताया कि वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) की रिवाइजिंग कमेटी द्वारा सुझाए गए बदलावों से सहमत हैं। जी स्टूडियोज ने इन बदलावों को लागू करने के लिए एक प्रारूप भी पेश किया है, जिस पर अब CBFC की प्रतिक्रिया का इंतजार है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?
जस्टिस बर्गेस कोलाबावाला और फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पूछा कि क्या CBFC ने फिल्म की रिलीज को लेकर कोई अंतिम निर्णय लिया है। जवाब में उन्हें बताया गया कि CBFC की रिवाइजिंग कमेटी ने फिल्म में 13 कट लगाने का सुझाव दिया है। सेंसर बोर्ड का कहना है कि इन कट्स के बिना फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता। CBFC ने ‘इमरजेंसी’ को U/A सर्टिफिकेट दिया है, लेकिन फिल्म के कुछ दृश्यों और संवादों को लेकर बोर्ड को आपत्ति है। बोर्ड का दावा है कि फिल्म में कुछ धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले दृश्य और संवाद शामिल हैं, जिनसे समाज में तनाव पैदा हो सकता है।
क्या हैं CBFC की आपत्तियां?
सेंसर बोर्ड ने कंगना की इस फिल्म पर 13 कट लगाए हैं। इनमें सबसे प्रमुख मांग यह है कि फिल्म की शुरुआत में एक डिस्क्लेमर जोड़ा जाए, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि यह फिल्म वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है। इसके अलावा, फिल्म में पंडित जवाहरलाल नेहरू के एक डायलॉग पर भी आपत्ति जताई गई है, जिसमें कहा गया है कि “चीन ने भारत से असम को अलग कर दिया है।” CBFC ने इस डायलॉग का स्रोत मांगा है।
संजय गांधी के किरदार के एक डायलॉग, जिसमें कहा गया है “आपकी पार्टी को वोट चाहिए और हमें खालिस्तान”, पर भी सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जताई है। बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से इस डायलॉग को हटाने का आदेश दिया है। इसके अलावा, CBFC ने फिल्म निर्माताओं से फिल्म में इस्तेमाल किए गए तथ्यों और घटनाओं के प्रमाण के लिए डॉक्यूमेंट्री प्रूफ प्रस्तुत करने की मांग की है।
‘इमरजेंसी’ पर उठते सवाल
कंगना की यह फिल्म देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगे इमरजेंसी पर आधारित है। इमरजेंसी भारत के राजनीतिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है, और इस फिल्म को लेकर पहले से ही कई विवाद खड़े हो चुके हैं। फिल्म में इंदिरा गांधी, संजय गांधी, और अन्य प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के किरदारों को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है।
CBFC के 13 कट्स और फिल्म के कुछ संवादों पर आपत्ति के चलते फिल्म की रिलीज पर फिलहाल अनिश्चितता बनी हुई है। अब सबकी नजरें 3 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर हैं, जिसमें यह तय हो सकता है कि फिल्म अपनी मौजूदा स्थिति में रिलीज हो पाएगी या नहीं।
क्या कहती हैं कंगना?
कंगना रनौत ने इस मुद्दे पर फिलहाल कोई सीधा बयान नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने अपनी पिछली पोस्ट्स में फिल्म की महत्वता और इसके ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि यह फिल्म सिर्फ एक राजनीतिक घटनाक्रम नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की कहानी है।
‘इमरजेंसी’ के निर्माताओं और CBFC के बीच जारी यह विवाद इस बात को लेकर भी चर्चा में है कि सिनेमा में ऐतिहासिक तथ्यों और राजनीतिक घटनाओं को कैसे प्रस्तुत किया जाए, ताकि यह संवेदनशील मुद्दों पर संतुलन बनाए रखे।