KNEWS DESK – पितृ पक्ष का समय हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने और उन्हें तर्पण देने का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में किए गए तर्पण से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है और यह प्रक्रिया सरल, लेकिन नियमों से भरी होती है। आइए जानते हैं तर्पण का महत्व और इसके दौरान कुश (घास) का उपयोग क्यों किया जाता है।
क्या होता है तर्पण
तर्पण एक साधारण प्रक्रिया है जो पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है। इसे किसी विशेष तिथि की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन पितृ पक्ष के समय इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। तर्पण के माध्यम से व्यक्ति अपने पितरों को जल अर्पित करता है, जिससे उन्हें शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
क्यों माना जाता है कुश को शुद्ध और पवित्र
कुश एक पवित्र घास है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि कुश की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से हुई है और इसमें तीनों प्रमुख देवताओं का वास होता है। इसके अग्र भाग में भगवान शिव, मध्य भाग में भगवान विष्णु और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास माना जाता है। यही कारण है कि कुश को शुद्ध और पवित्र माना जाता है।
तर्पण में कुश का महत्व
तर्पण के दौरान कुश का प्रयोग आवश्यक है। बिना कुश के तर्पण को अधूरा माना जाता है। यह मान्यता है कि सागर मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें कुश पर भी पड़ीं, जिससे वह अमर हो गया। कुश कभी नष्ट नहीं होता; यह सूख सकता है, लेकिन फिर से उग आता है। इस तरह, जब तर्पण के जल को कुश के माध्यम से अर्पित किया जाता है, तो यह सुनिश्चित करता है कि वह जल पितरों तक सही ढंग से पहुंचे।
तर्पण का सही तरीका
कुश का सही उपयोग करने के लिए, तर्पण करते समय कुश को उसके अग्र भाग से पकड़कर जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों तक जल पहुंचता है और वे इसे ग्रहण करते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और समृद्धि का विस्तार होता है।