KNEWS DESK- मेरठ की जाकिर कॉलोनी में एक तीन मंजिला मकान का ढहना एक गंभीर त्रासदी बन गया है, जिसमें 10 लोगों की जान चली गई। यह मकान लगभग 50 साल पुराना था और 300 गज के क्षेत्रफल में फैला हुआ था। हादसे के समय मकान के ऊपरी मंजिल पर परिवार के सदस्य मौजूद थे।
मकान की नींव में वर्षों से कमजोरियों के संकेत थे। परिवार के लोग समय-समय पर ऊपरी मंजिल में निर्माण कार्य कराते रहे, लेकिन नींव को मजबूत करने की कोई कोशिश नहीं की गई। नींव में डेयरी के पानी, गंदगी और हाल की बारिश का पानी रिसता गया, जिससे नींव कमजोर हो गई और मकान ढह गया।
मकान के भूतल पर पिछले 20 साल से अलाउद्दीन और उनके बाद उनके चार बेटे साजिद, नदीम, नईम, और शाकिर पशुओं की डेयरी चला रहे थे। ऊपरी मंजिल पर इन भाइयों के परिवार का निवास था। मकान की संरचना बेहद कमजोर थी, जिसमें केवल एक पिलर था जो गेट के पास था और दीवारें सिर्फ चार इंच की थीं। इसके अलावा, मकान में पानी निकालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी और पशुओं की गंदगी दीवारों पर जमा हो रही थी।
छह दिन पहले मकान के एक छोटे हिस्से के धंसने की सूचना थी, जिसे परिवार ने नजरअंदाज कर दिया था। चार दिनों से हो रही लगातार बारिश ने नींव को और कमजोर कर दिया। शनिवार शाम को लगभग 4:30 बजे मकान ढह गया और पूरा परिवार मलबे में दब गया।
इस घटना के बाद, जाकिर कॉलोनी में संचालित डेयरियों की स्थिति भी सवालों के घेरे में है। कई कॉलोनियों में अनगिनत डेयरियां चल रही हैं, जहां गंदगी खुले में फेंकी जाती है। इन डेयरियों की शिकायतें स्थानीय निवासियों और पार्षदों द्वारा कई बार अधिकारियों के सामने उठाई गई हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इनकी अनदेखी की है। इस प्रकार की लापरवाही न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि भविष्य में किसी और त्रासदी की संभावना को भी जन्म देती है।
स्थानीय अधिकारियों और नगर निगम को इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके और कॉलोनीवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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