KNEWS DESK – बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में 2023 में हुए गैंगरेप मामले को लेकर हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी है। यह मामला 2 नवंबर 2023 की रात का है, जब बीएचयू आईआईटी की एक छात्रा के साथ हैवानियत की गई थी। इस वारदात ने बनारस में जबरदस्त बवाल खड़ा कर दिया था, और कई दिनों तक छात्रों ने कैंडल मार्च निकालकर पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग की थी।
आरोपियों ने छात्रा के साथ दुष्कर्म की घटना को दिया अंजाम
बता दें कि घटना बीएचयू के आईआईटी में बीटेक द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही छात्रा उस रात अपने हॉस्टल से बाहर निकलकर स्मृति छात्रावास की ओर जा रही थी। उसके साथ उसका दोस्त रितेश भी था। जब वे कर्मन बाबा मंदिर के पास पहुंचे, तो बाइक सवार तीन युवकों ने उन्हें घेर लिया। रितेश को धमकाकर वहां से भगा दिया गया और आरोपियों ने छात्रा के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। आरोपियों ने इस वारदात का वीडियो भी बनाया, जिसे बाद में पुलिस को सौंपा गया।
पुलिस ने शुरू में छेड़छाड़ की धाराओं में मुकदमा किया था दर्ज
वारदात की जानकारी के बाद बीएचयू के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया और छात्रा को न्याय दिलाने के लिए कई दिनों तक कैंडल मार्च निकाले और पुलिस पर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबाव डाला। पुलिस ने शुरू में छेड़छाड़ की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया, लेकिन बाद में पीड़िता के बयान के आधार पर गैंगरेप की धाराएं जोड़ी गईं। पुलिस ने 30 दिसंबर 2023 को तीन संदिग्ध आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनकी पहचान कुणाल पांडेय, आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल के रूप में हुई। इन सभी को जेल भेजा गया और लोवर कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद, आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी दी।
आरोपी सक्षम पटेल की जमानत अर्जी पर 16 सितंबर को सुनवाई
अदालत ने माना कि जब तक दोष साबित नहीं होता, कारावास की अवधारणा अपवाद होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए, हाईकोर्ट ने दो आरोपियों कुणाल पांडेय और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान को सशर्त जमानत दे दी। वहीं, तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत अर्जी पर 16 सितंबर को सुनवाई होगी। सक्षम की जमानत अर्जी पहले भी हाईकोर्ट में खारिज हो चुकी है। इस मामले में आरोपियों ने दावा किया है कि पुलिस ने उन्हें बलि का बकरा बनाया है और उनका इस वारदात से कोई लेना-देना नहीं है। उनके वकील ने आरोपियों की निर्दोषता का दावा किया है और कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा नौ के तहत आरोपियों की शिनाख्त परेड नहीं कराई गई।
न्याय प्रणाली और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
बीएचयू गैंगरेप केस के इस विकास ने एक बार फिर न्याय प्रणाली और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। इस मामले की सुनवाई और जमानत के फैसले से पीड़िता और समाज में निराशा और आक्रोश का माहौल बना हुआ है।