KNEWS DESK – बॉलीवुड में ऐसे बहुत कम अभिनेता होते हैं, जो हर रोल में अपनी अदाकारी से जान फूंक देते हैं और हर जॉनर की फिल्मों में अपने आप को ढाल लेते हैं। पवन मल्होत्रा एक ऐसे ही अभिनेता हैं, जिन्होंने पिछले 20 वर्षों में भारतीय सिनेमा में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। हाल ही में उन्हें उनकी हरियाणवी फिल्म ‘फौजा’ के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला, जो उनके करियर का दूसरा नेशनल अवॉर्ड है। एक बातचीत में पवन मल्होत्रा ने इस उपलब्धि के बारे में अपने विचार साझा किए और हरियाणवी इंडस्ट्री की ग्रोथ के बारे में बात की।
गर्व का एहसास
पवन मल्होत्रा ने बताया कि जब उन्हें उनके दूसरे नेशनल अवॉर्ड के बारे में पता चला, तो वह एक स्क्रिप्ट पढ़ने जा रहे थे। “मुझे किसी और का फोन आया और उन्होंने बधाई दी। मैंने पूछा किस बात की, तो उन्होंने कहा कि नेशनल अवॉर्ड की। उस वक्त मैं सोच रहा था कि 24-25 साल बाद मुझे फिर से नेशनल अवॉर्ड की बधाई मिल रही है। जब उन्होंने बताया कि ‘फौजा’ के लिए मुझे बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला है, तो मैं बहुत खुश हुआ। यह बहुत अच्छा एहसास है
दो दशकों में बदलाव
एक बातचीत में पवन मल्होत्रा ने अपने पहले और दूसरे नेशनल अवॉर्ड के बीच के अंतर पर बात की। “अगर आप काम के हिसाब से देखेंगे तो बहुत फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन जब आपके काम को सराहा जाता है, और उसे नोटिस किया जाता है, तो बहुत अच्छा फील होता है,” उन्होंने कहा। यह बात पवन मल्होत्रा के पेशेवर करियर की निरंतरता और उनकी उत्कृष्टता को दर्शाती है।
हरियाणवी इंडस्ट्री की ग्रोथ और भविष्य
पवन मल्होत्रा ने हरियाणवी सिनेमा की ग्रोथ के बारे में भी बात की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री को और अधिक पहचान मिलेगी। “जब मुझे ‘फौजा’ मिली थी, तो मैं चाहता था कि यह फिल्म स्कूल और कॉलेज के बच्चों को दिखाई जाए। इस फिल्म की जो सोल है, वो सभी यंगस्टर्स को देखनी चाहिए। हो सकता है कि अब यह फिल्म हरियाणा के बड़े शहरों में लगे,” पवन मल्होत्रा ने कहा।
पवन मल्होत्रा की सरलता
पवन मल्होत्रा की सरलता उनके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज़ी न्यूज के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि हाल ही में वह दिल्ली में वॉर मेमोरियल गए थे, जहां उन्होंने एक घड़ी खरीदी। “घड़ी की कीमत 1100 रुपये थी, और यह मुझे बहुत पसंद आई क्योंकि उस पर लोंगेवाला का चिन्ह था, जिस पर फिल्म ‘बॉर्डर’ बनी थी। मैं उस घड़ी को गर्व से पहनता हूं और बच्चों को भी दिखाता हूं,” उन्होंने कहा। यह घटना पवन मल्होत्रा की सादगी और अपने इतिहास के प्रति प्रेम को दर्शाती है।
‘फौजा’ की सफलता
फिल्म ‘फौजा’ को तीन नेशनल अवॉर्ड मिले हैं, जिनमें पवन मल्होत्रा को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड, डायरेक्टर प्रमोद कुमार को बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का अवॉर्ड, और ‘सलामी’ के लिए नौशाद सदर खान को बेस्ट लिरिक्स का अवॉर्ड शामिल हैं। पवन मल्होत्रा की यह सफलता और उनके द्वारा व्यक्त की गई सादगी उन्हें एक अलग पहचान देती है। हरियाणवी सिनेमा की ग्रोथ में उनका योगदान एक प्रेरणा का स्रोत है, और वह अपने काम से न केवल बॉलीवुड बल्कि क्षेत्रीय सिनेमा में भी एक मिसाल कायम कर रहे हैं।