कोरोना महामारी के नए संस्करण ओमीक्रोन के बढ़त मामलों के कारण वैश्विक स्तर से मिले कमजोर संकेतों के दबाव में घरेलू बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कई यूरोपीय देशों में कोविड को लेकर नए सिरे से लागू पाबंदियां, विदेशी निवेशकों की तरफ से लगातार भारी बिकवाली और दुनिया के कुछ प्रमुख सेंट्रल बैंकों की तरफ से नीतियों में कड़ाई और तरलता घटाने के उपाय उठाने के चलते भी बाजार की धारणा प्रभावित हुई।
चंद मिनटों में हजारों करोड़ों गंवाए
घरेलू बाजार प्री-ओपन सेशन में ही 1,849 अंक या 3.24 फीसदी से अधिक की गिरावट में थे. जैसे ही सेशन ओपन हुआ, बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex ) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) दोनों एक फीसदी से अधिक टूट गए. यह गिरावट करीब ढाई फीसदी की हो गई. बाजार में चारों तरफ हाहाकार का माहौल रहा. सारे प्रमुख सूचकांक लाल निशान में रहे. इस गिरावट में इन्वेस्टर्स ने चंद मिनटों के कारोबार में हजारों करोड़ गंवा दिए.
बीएसई सेंसेक्स करीब ढाई फीसदी टूटकर 55,162.50 अंक के आस-पास रहा. एनएसई निफ्टी भी करीब ढाई फीसदी गिरकर चार महीने के निचले स्तर 16,418.70 अंक के पास तक गिर गया. इस दौरान बैंक निफ्टी करीब 11.65 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। पिछले दो महीनों में निवेशकों की संपत्ति करीब 25 लाख करोड़ रुपये घट चुकी है।
बाजार में गिरावट की पांच वजह
1- अमोक्रोन के बढ़ते मामलों से फिर लॉकडाउन की आशंका बढ़ी
2- वैश्विक बाजारों में गिरावट का असर
3- विदेशी निवेशक दिसंबर में लगातार भारतीय बाजार से कर रहे निकासी
4- विकसित अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की रफ्तार मंद पड़ रही
5- अमेरिका और ब्रिटेन के केन्द्रीय बैंकों ने दरें बढ़ाने की शुरुआत की है।