KNEWS DESK, ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया के कार्यवाहक अध्यक्ष रणधीर सिंह ने सरकार को एक नसीहत दी है। उन्होंने सरकार से खेल प्रशासकों के कार्यकाल से जुड़ी नीति पर फिर से विचार करने को कहा है। वहीं वह इस नीति के पक्ष में नहीं हैं।
पूर्व निशानेबाज और अनुभवी खेल प्रशासक रणधीर सिंह ने गुरुवार को सरकार से खेल संहिता नियम पर फिर से विचार करने को कहा। सरकार ने अपनी नीति में खेल महासंघों के चुने हुए पदाधिकारियों का कार्यकाल चार-चार साल के तीन टेन्योर तक सीमित कर दिया है। वहीं इस पर रणधीर सिंह ने कहा कि ये भारतीय खेल प्रशासकों के लिए इंटरनेशनल बॉडी में बड़ी जिम्मेदारी हासिल करने की राह में बड़ी रुकावट है। साथ ही खेल संहिता के अनुसार, राष्ट्रीय खेल महासंघ का प्रमुख अधिकतम 12 साल या चार-चार साल के तीन टेन्योर तक पद पर रह सकता है। इसी पर रविवार को एशियन ओलंपिक परिषद की आम सभा के दौरान निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने वाले रणधीर ने कहा कि 1.4 अरब की आबादी वाले देश में एशियन गेम्स बॉडी का नेतृत्व करने वाले सिर्फ चार भारतीय हैं, जो कॉन्टिनेंटल लेवल पर बहुत खराब प्रतिनिधित्व है।
रणधीर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “1.4 अरब की आबादी में, आपके पास सिर्फ चार (भारतीय) सदस्य हैं जो एशियन बॉ़डी का नेतृत्व कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि,”किसी खेल प्रशासक के लिए नेशनल लेवल पर अपनी पहचान बनाने के लिए 12 साल का समय बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिश्ते बनाना और वहां बड़ी भूमिकाएं तलाशना तो दूर की बात है।” उन्होंने आगे कहा, “12 साल में, जो कि आईओए (भारतीय ओलंपिक संघ) या महासंघों (एनएसएफ) में आपके खेल करियर में आपको दिया गया समय है, पहले कार्यकाल में आप कार्यकारी बोर्ड के सदस्य बनते हैं, फिर अगले कार्यकाल में आप सचिव या संयुक्त सचिव या उपाध्यक्ष बनते हैं और जब तक आप (12 साल) का चक्कर लगाते हैं, तब तक आपका समय खत्म हो जाता है फिर जब आप किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था में जाते हैं, तो आपको फिर से अपना होमवर्क करना होता है इसलिए आपको कुछ समय के लिए वहां रहना चाहिए।”