KNEWS DESK – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में भारतीय संविधान की 75 वर्षों की यात्रा पर चर्चा में हिस्सा लिया और अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की समृद्ध परंपरा और संविधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राजर्षि टंडन, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, और डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का उल्लेख किया।
भारत: मदर ऑफ डेमोक्रेसी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत भारत की लोकतांत्रिक परंपरा की प्रशंसा से की। उन्होंने कहा, “भारत का लोकतंत्र और अतीत बेहद समृद्ध और प्रेरक रहा है। यही कारण है कि आज भारत को ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ के रूप में जाना जाता है।” उन्होंने राजर्षि टंडन के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा, “राजर्षि टंडन ने कहा था कि सदियों के बाद हमारे देश में फिर से ऐसी बैठकें हो रही हैं, जो हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाती हैं। जब विद्वान मिलकर चर्चाएं करते थे और भारत स्वतंत्र था।”
डॉ. राधाकृष्णन और डॉ. आंबेडकर का जिक्र
पीएम मोदी ने डॉ. राधाकृष्णन के शब्दों को दोहराते हुए कहा, “भारत के लिए लोकतंत्र कोई नई बात नहीं है। यह हमारी सभ्यता की शुरुआत से ही हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है।” उन्होंने डॉ. आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा, “भारत को लोकतंत्र का गहरा ज्ञान है। हमारे देश में प्राचीन काल में कई गणराज्य थे, जहां जनता की भागीदारी से निर्णय लिए जाते थे।”
संविधान: भारत की एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संविधान को “भारत की एकता और अखंडता का आधार” बताया। उन्होंने संविधान सभा में सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व और उनके योगदान की सराहना की। पीएम मोदी ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने भारत की विविधता को देखते हुए देश को एकता के सूत्र में बांधने की चुनौती का उल्लेख किया था।
उन्होंने कहा, “आजादी के बाद गुलामी की मानसिकता से ग्रस्त लोगों ने संविधान की भावना को कमजोर करने की कोशिश की। लेकिन हमारी सरकार ने संविधान की मूल भावना को बनाए रखने और विविधता में एकता का जश्न मनाने के लिए काम किया है।”
सरकार की उपलब्धियां और संविधान का पालन
पीएम मोदी ने बीते 10 वर्षों में संविधान के तहत किए गए कार्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हमने देश की एकता को मजबूत करने के लिए कई बड़े कदम उठाए, जैसे अनुच्छेद 370 को हटाना, वन नेशन-वन टैक्स (जीएसटी) लागू करना, और वन नेशन-वन राशन कार्ड जैसी योजनाएं।”
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना, वन नेशन-वन इलेक्ट्रिक ग्रिड, और अन्य नीतियों के माध्यम से संविधान की मूल भावना का पालन करते हुए जनकल्याण को प्राथमिकता दी है।
संविधान की 25वीं और 50वीं वर्षगांठ पर विचार
पीएम मोदी ने संविधान की 25वीं और 50वीं वर्षगांठ पर घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने 25वीं वर्षगांठ पर इमरजेंसी के दौरान नागरिक अधिकारों के हनन और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश की आलोचना की। उन्होंने कहा, “संविधान की 50वीं वर्षगांठ पर अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी। उस दौरान संविधान की गरिमा को पुनर्स्थापित करने का काम किया गया। आज संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर हमें इसे नई ऊर्जा और दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए।”
संविधान दिवस का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान दिवस मनाने के महत्व पर जोर दिया और बताया कि जब उन्होंने इसकी शुरुआत की तो कुछ नेताओं ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “संविधान दिवस का उद्देश्य भारतीय संविधान की भावना और उसकी समृद्ध विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है।”
संविधान के मूल भाव पर बल
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में कहा, “हमारी सरकार संविधान के मूल भाव, यानी देश की एकता, अखंडता और विविधता में एकता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी लोकतांत्रिक परंपरा और संविधान की भावना आने वाले दशकों में भी प्रासंगिक और सशक्त बनी रहे।”