विधानसभा में मुस्लिम सदस्यों को अब नहीं मिलेगा जुमे की नमाज का ब्रेक, असम सरकार ने लिया बड़ा फैसला

KNEWS DESK- असम विधानसभा में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिससे मुस्लिम सदस्यों को जुमा की नमाज के लिए मिलने वाले 2 घंटे के ब्रेक को अब खत्म कर दिया गया है। यह फैसला असम विधानसभा के अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी की अध्यक्षता में लिया गया, जिसे राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पूरी तरह से समर्थन किया है।

जुमा के दिन 2 घंटे के ब्रेक का खत्म होना

असम विधानसभा की कार्यवाही आमतौर पर सोमवार से गुरुवार तक सुबह 9:30 बजे शुरू होती है। हालांकि, शुक्रवार को जुमा के दिन सदन में 2 घंटे का ब्रेक दिया जाता था, जिससे कार्यवाही का समय सुबह 9 बजे से शुरू होता था। अब इस ब्रेक को समाप्त कर दिया गया है, और विधानसभा की कार्यवाही अब हर दिन सुबह 9:30 बजे से शुरू होगी।

सरकार का तर्क: प्रोडक्टिविटी में वृद्धि

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने विधानसभा में प्रोडक्टिविटी को प्राथमिकता दी है और एक ऐतिहासिक प्रथा को समाप्त किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि यह प्रथा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा 1937 में शुरू की गई थी। सरमा ने इसे औपनिवेशिक बोझ का एक निशान करार दिया और इस कदम के लिए विधानसभा अध्यक्ष और विधायकों का आभार व्यक्त किया।

एक दिन पहले पारित हुआ महत्वपूर्ण विधेयक

28 अगस्त को असम विधानसभा ने एक अन्य महत्वपूर्ण विधेयक को पारित किया, जो मुस्लिम विवाह और तलाक कानून को निष्प्रभावी बनाने के उद्देश्य से था। इस विधेयक में असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम निरसन अध्यादेश 2024 को रद्द करने का प्रावधान था।

काजी व्यवस्था पर सरकार का रुख

विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल बाल विवाह को समाप्त करना ही नहीं बल्कि काजी व्यवस्था से छुटकारा भी पाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विवाहों का रजिस्ट्रेशन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किया जाना चाहिए, और सरकार किसी भी निजी व्यवस्था को समर्थन नहीं कर सकती।

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